बिखरी पड़ी है तेरी रौशनी हर ओर।
हम ढूँढते रहते हैं मंदिरों-मस्जिदों-गिरजों में।
आवाज़ें देते रहते हैं माजरों-समाधियों पर।
सुनते नहीं लौट कर आती सदायें….गूँज अपने अंदर की.
क्यों भूल जातें हैं-
मेरा मुझमें कुछ नहीं, जो कुछ है सो तेरा है।
बस तेरी अमानतें हैं, जो लौटनीं है।
रूह से रूह तक प्रेम पहुँचाना है।
👌👌
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Thank you 😊
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😊😊🌈🌈
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😊💐
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