हम कभी क़ैद होते है ख्वाबों, ख्वाहिशों , ख्यालों, अरमानों में।
कभी होते हैं अपने मन अौर यादों के क़ैद में।
हमारी रूह शरीर में क़ैद होती है।
क्या हम आजाद हैं?
या पूरी जिंदगी ही क़ैद की कहानी है?
हम कभी क़ैद होते है ख्वाबों, ख्वाहिशों , ख्यालों, अरमानों में।
कभी होते हैं अपने मन अौर यादों के क़ैद में।
हमारी रूह शरीर में क़ैद होती है।
क्या हम आजाद हैं?
या पूरी जिंदगी ही क़ैद की कहानी है?