14 thoughts on “ख़्वाबों का धुआँ

  1. क्या कमाल की कल्पना शक्ति है आपकी। बिल्कुल शानदार👍 अगर आपसे कभी मुलाकात हो, तो यह सवाल मैं जरूर करुंगा।
    “आप क्या खाते हैं जो इतना बेहतर सोच पाते हैं?” ☺️

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    1. इतनी तारीफ़ के लिए शुक्रिया कुमार . अगर मुलाक़ात क्यों ? पुणे आओ तो ज़रूर मिलो. 😊
      तुम बिना मिले भी सवाल पूछ सकते हो.
      कुछ बातें / सोंच जीवन के अनुभव सिखाते हैं और कुछ विचार पढ़ते रहने से आते हैं.

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  2. शालीनता भरी जवाबों के लिए शुक्रिया मैम। अपने शहर से दूर जाने की तो पूरी ख्वाहिश है पर यह फिलहाल मुमकिन नहीं है।

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  3. यही तो बात है…..मुस्कुरा के गम का जहर जिसने पी लिया उसने ज़िंदगी को जीना सिख लिया।

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    1. ठीक कहा तुमने क्योंकि ज़िन्दगी से बढ़ कर कोई सीखाने वाला नहीं है.

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