ज़िंदगी की रंग -171

ज़िन्दगी निरंतर चलने वाली यात्रा है.

ना जाने कितने लोग इस पथ पर मिलते है.

कुछ छाप छोड़ जाते हैं और

अपने से लगने लगते है .

उनकी बातें उनकी सीख अनमोल होती हैं.

12 thoughts on “ज़िंदगी की रंग -171

  1. सही कहा आपने वे बहुत सी यादें छोड़ के उनके बिना जीना सीखा जाते हैं।

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  2. हाँ रेखा जी । किशोर कुमार जी का अमर गीत याद दिला दिया आपने :

    आते जाते खूबसूरत आवारा सड़कों पे
    कभी कभी इत्तफ़ाक़ से
    कितने अंजान लोग मिल जाते हैं
    उन में से कुछ लोग भूल जाते हैं, कुछ याद रह जाते हैं

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    1. वाह !!! बेहद ख़ूबसूरत गीत. वास्तव में जीवन के इस सफ़र में ऐसा होता है. आपका धन्यवाद .

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