
कहते हैं हम इंसान तरक़्क़ी कर रहें हैं.
आगे बढ़ रहें हैं.
पर जा कहाँ रहें हैं?
ना इंसानों, ना बच्चों, ना पशुओं
किसी के बारे में नहीं सोंच रहें हैं.
अफ़सोस !!!!
क्रूरता की इंतहा है.

कहते हैं हम इंसान तरक़्क़ी कर रहें हैं.
आगे बढ़ रहें हैं.
पर जा कहाँ रहें हैं?
ना इंसानों, ना बच्चों, ना पशुओं
किसी के बारे में नहीं सोंच रहें हैं.
अफ़सोस !!!!
क्रूरता की इंतहा है.
अफसोस तो इसी बात का हैं…
इंसान, इंसान न होकर हैवान हो गया हैं…
दरअसल अपने देश का कानून लचीला हैं..
कठोर कानून बनें …तो यह सब न हो…
सीधे सूली पर चढाया जाऐ…या चौराहे पर खड़ा करके उनके लिंग को उखाड़ फैका जाऐ….
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क़ानून में काफ़ी सुधार लाया गया है. विशेष कर बच्चों के साथ हुए क्रूरतापूर्ण व्यवहार रोकने के पोक्सो/ POCSO आदी बने हैं. पर अपराध बढ़ता हीं जा रहा है.
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आपकी बात सही है. सज़ा और क़ानून कड़ाई से लागू करने की ज़रूरत है.
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इंसान कुछ ऐसे हैं जिन्हें इंसान कहना ही गुनाह है। क्रोध है मगर किसपर जटाएं…..आखिर ऐसी शिक्षा तो कोई माँ बाप नही देता।
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दिन पर दिन स्थिति ख़राब हो रही है, यह अफ़सोस की बात है.
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An RTI Application’s reply says that only 50 people are convicted till date 2018 since inception of this law. One Marathi new channel has exposed the misuses of POCSO Law and quoted that many gangs are working in this conspiracy where a girl is prepared to register case against an innocent man for money or personal revenge.
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This RTI news is new for me. Thanks for sharing. This is very sad that POCSO is being misused.
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