
मैं
इंसानियत में बसता हूं
और लोग मुझे मजहबों में ढूंढते हैं।
Image courtesy internet.

इंसानियत में बसता हूं
और लोग मुझे मजहबों में ढूंढते हैं।
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NEWS, 27/03/2017
1. Tamil Nadu Youth Hacked To Death For Being Atheist,
2. Wanted to attack UP dargah, Imambara and cleric before Ujjain blast, accused tells NIA.
3.22/3 London attack.
And countless other such news…………….
धर्म ना मानो तो मुश्किल,
मेरा धर्म न मानो तो भी मुश्किल,
पता नहीं गीता, रामायण, कुरान, बाइबल..
किसने कहा भगवान अलग-अलग हैं?
लेकिन लगता है हम उन्हें अलग करके ही मानेंगे!
क्या हम इस सीमा से आगे यह नहीं सोंच सकते हैं कि
हम इंसान हैं.
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साम्राज्य छोङ बुद्ध ने कहा-
मानवता हित अौर सेवा सबसे ऊपर
हम भूले, विश्व में फैला बुद्धत्व।
ईशु ने दिया विश्व शांति, प्रेम और सर्वधर्म सम्मान संदेश।
कुरआन ने कहा जहाँ मानवता वहाँ अल्लाह।
गीता का उपदेश- कर्मण्यवाधिकारस्ते मा……
– निस्वार्थ कर्तव्य पालन करो।
कर्ण ने सर्वस्व अौर दधिची ने किया अस्थि दान ,
कितना किसे याद है, मालूम नहीं।
मदाधं मानवों की पशुवत पाशविकता जाती नहीं।
मानव होने के नाते, हमारे पास ज्ञान की कमी नहीं।
बस याद रखने की जरुरत है,
पर हम ङूबे हैं झगङे में – धर्म, सीमा, रंग , भाषा……..
हम ऊपरवाले की सर्वोत्तम कृति हैं !
कुछ जिम्मेदारी हमारी भी बनती है।
Topic of Indispire –
What would be your idea of an evolved human being? #beingtrulyhuman
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सदियाँ अौर युग बीते,
रावण कभी नहीं मरा,
उसने अत्याचार किया, पर परस्त्री को स्पर्श नहीं।
आज के रावण तो नारी अस्मिता के भक्षक हैं।
नहीं लगाते दहेज पर विराम।
पर काली -दुर्गा कहलानेवाली के गर्भयात्रा को हीं रोक देतें हैं……….
क्यों नारी नापी जाती है मात्र रुप-रंग से,
क्यों नहीं योग्यता बौद्धिकता से?
क्यों नहीं यह माप-दंङ पुरुषों पर लागु है?
सुंदरता तो हमारे नयनों में होती है।
यह सब सौंदर्य बोध अौर नियम तो हमने बना लिया है………….
सदियाँ अौर युग बीते,
रावण कभी नहीं मरा,
रावण है, इसलिये राम याद आतें हैं।
images from internet, with thanks.

आश्विन मास की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहते हैं। इस साल शरद पूर्णिमा 15 अक्टूबर को है। यह शरद ऋतु या जाडे के मौसम के आगमन का सूचक हैं.
मान्यता –
माना जाता हैं इस रात चंद्रमा से अमृत बरसता हैं और चंद्रमा की किरणें विशेष गुणों से भरी रहती हैं. अत शरद पूर्णिमा की रात कई लोग घरों की छतों पर खीर रखते हैं. अगले दिन इस खीर को आरोग्य वर्धक प्रसाद के रुप में खाया जाता है।
यह भी किंवदन्ति हैं भगवान श्रीकृष्ण ने शरद पूर्णिमा की रात रास रचाया था .एक मान्यता के अनुसार इस रात लक्ष्मी जी रात्रि भ्रमण के लिये निकलती हैं.
इन सब मान्चयताओं की वजह से इस रात कुछ समय चाँद को देखना और चाँदनी में समय बिताना अच्छा माना जता हैं.|


Source: कन्या पूजन ( कविता )

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