धूप का इक टुकड़ा

आफ़ताब से आँख मिलाने की कोशिश ना कर

रौशनी से शिकवा-शिकायत न कर।

अंधेरे को उजाला करने को

इक किरण-ए-आफ़ताब काफ़ी है।

चम्पई अंधेरा और सुरमई उजाला

रौशन करने को गज़ाला-ए-किरण…

…धूप का इक टुकड़ा हीं काफ़ी है।

अर्थ : गज़ाला -सूर्य, सूरज,

picture courtesy – Anurag Dutta

2 thoughts on “धूप का इक टुकड़ा

  1. आत्मा
    मुझे प्रकाश दिया
    ब्रह्माण्ड
    चेहरे में देखो
    कि समय की शुरुआत से पहले
    राज़ में
    आज
    हर इंसान के साथ
    सपने में
    और दिन में
    जैसे केवल एक ही है
    यह व्यक्ति
    धरती पर
    सारे लोगों के साथ
    चर्चाएँ
    नेतृत्व करता है

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  2. Waah. Rekha ji. Aapko lekar agar koi film bane to uska naam hoga Kavyitri No. 1. Beautiful. Enjoy reading every single line.

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