ब्रह्मांड में बिन आधार गोल घूमता नीलम-पन्ना सा, नीले जल बिंदु सा, यह पृथ्वी, हमारी धरा, हमारा घर है। यह वह जगह है, जहाँ हम सब जीते-मरते और प्यार करते हैं। यह हमारे अस्तित्व का आधार है। हर व्यक्ति जो कभी था जो कभी है । सभी ने यहीं जीवन जिया। हमारा सुख-दुख, हमारा परिवार, हजारों धर्म, आस्थाएँ, महान और सामान्य लोग, हर रिश्ता , हर प्रकार का जीवन, हर छोटा कण, ब्रह्मांड में बिना सहारे घूमती इस अलौकिक पृथ्वी के रंगभूमि का हिस्सा है।
फिर इसकी उपेक्षा क्यों ? ना जाने कितने महिमामय रजवाड़े, शासकों ने मनमानी की, बिखेरे रक्त की बूंदें। क्या यह उनका यह क्षणिक आत्मा महिमा, एक भ्रम नहीं था? क्या बिन इस धरा के, इस विशाल विश्व के उनका अस्तित्व संभव था?
हमारी विशाल धरा, ब्रह्मांड के अंधकार में जीवन से पुर्ण, नाचती एक मात्र स्थान है। क्या है ऐसी कोई आशा की किरण जो हमें जीवन का आधार दे सके? जो परीक्षा की घड़ी में मददगार हो? आज यह पृथ्वी एकमात्र ज्ञात जीवन से परिपूर्ण दुनिया है। फिर क्या यह अच्छा नहीं है कि हम इसका सम्मान करें? नफरत छोड़कर प्रेम से जिये और जीने दें सभी को?
Nice post
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Thank you Prakaash.
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Bahut hi khubsurati se likha hai aapne
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शुक्रिया दानिश.
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Beautiful msg
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Thank you Shyam .
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