क्या है ऐसा कोई त्योहार जो युगों युगों से प्रकृति-संरक्षण कर रहा है?
आस्था का महापर्व, प्रकृति और मानव के सम्बंधों का पावन त्योहार छठ।
प्रकृति को उसके उपहारों के लिए आभार प्रदर्शन और श्रद्धा देने की है यह अनूठी परम्परा।
जल, नदियों, सागर का सम्मान।
सूर्य और उसकी रोशनी का मोल , चाहे वह उगता सूरज हो या डूबता रवि।
स्वच्छता का संदेश देता त्योहार।
ना पुजारी या पंडित की जरूरत, ना सामाजिक भेदभाव ।
कठिन तपस्या, आत्म नियंत्रण और निष्ठा का अद्भुत समिश्रण।
निश्छलता से आशीर्वाद और मनोकामनाओं के पूरा होने की कामना करते असंख्य व्रती।
आज प्रकृति संरक्षण की कोशिशों में क्यों नहीं होती इसकी चर्चा?

बहुत अच्छी बात कही है आपने रेखा जी । प्रकृति संरक्षण के प्रयासों में छठ पूजा का भी समावेश होना चाहिए और इसके मर्म को हृदय में उतारा जाना चाहिए ताकि इस दिशा में केवल शब्दों से नहीं कर्मों से भी प्रगति हो ।
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बिलकुल!
कहते हैं महाभारत काल से सूर्य/ छठ पूजा होता आ रहा है. मुझे लगता है बिन ब्राह्मण होने वाल शायद एक मात्र पूजा है. जो जातीयता से भी प्रभावित नहीं है. ढाई दिन के उपवास के लिए कठोर संयम चाहिए.
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