कारवाँ रुका नहीं

बिना कुछ कहे सुने,

अलविदा कहे बग़ैर

चले गए.

समुंदर के पार से आती

आवाजों को अनसुना कर.

आवाज़ लगाते रहें

पर कारवाँ रुका नहीं.

क्या यह सच है कि

पीछे से आतीं

आवाज़ें वही सुनतें हैं

जिन्हें रुकना होता है ?

12 thoughts on “कारवाँ रुका नहीं

      1. मेरा मतलब, आपके लगभग हर पोस्ट में एक छुपा मोटिवेशन होता है। यह एक कल्पना में ले जाता है। कुछ करने, सोचने के लिए।

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      2. तुम्हारी बातें सही है. मोटिवेशनल बातें मैं अपने आप को प्रेरित करने के लिए लिखती रहती हूँ।
        मैं अपने दिल के एहसासों को लिखती हूं शायद इसलिए वह तुम्हें थॉट प्रवोकिंग लगता है या कुछ सोचने के लिए बाध्य करता है।

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    1. धन्यवाद परम।
      मेरी बातें, दरअसल आजाद खयाल बातें बहुत लोगों को ना पसंद आती हैं। इसलिए मैं अपने लेखों और कविताओं में प्रश्न पूछती रहती हूं। यह समझने, यह जानने के लिए कि मैं कितनी सही हूं, दुनिया में मेरे जैसे और लोग भी हैं या नहीं ।

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    2. तुम्हारी बातें मुझे अच्छी लगी। परम, तुमने सही समझा है।
      कभी-कभी कुछ ब्लॉगर्स ने पूछा भी कि क्या अपनी कल्पना से यह सब लिखती हैं? पर सच्ची बात यह है कि ज्यादातर बिल्कुल सच्चे एहसासों को लिखतीं हूं या प्रश्न करतीं हूँ।

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    1. मानव मन भी विचित्र होता है।यह तो वह उत्तर है जो हम जान कर भी नहीं जानना चाहते हैं। बहुत धन्यवाद आपका।

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