गुमशुदगी की शिकायत

कहते हैं- सुबह का भूला,

शाम को लौट आए तो …

लौटने का इंतज़ार करते रहे.

पर वह शाम आती हीं नही.

गुमशुदगी की शिकायत दर्ज करनी है,

ऐ ऊपर वाले!!

18 thoughts on “गुमशुदगी की शिकायत

      1. बेहद दुखद है यह बात. अगर चाहो तो मेरे साथ अपनी बातेंshare कर सकती हो. दिल हल्का होगा.

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      2. सबा, खुशियों की तरह दर्द का भी एक रिश्ता होता है । तभी लगता है जैसे दोनों एक दूसरे की ही बातें कर रहे हैं .

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  1. अत्यंत सुन्दर अभिव्यक्ति !किसकी गुमशुदगी की शिकायत दर्ज करानी है? 
    उस शाम की जो आई नहीं ! वो शाम मिल जाती तो ‘वो भूला” भी मिल जाता !

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    1. आभार आपका.
      कुछ गुमशुदा कभी वापस नहीं आते. यह ऐसी हीं शिकायत है . जिसका जवाब मालूम है. पर दिल उसे स्वीकार नहीं करता .

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      1. धन्यवाद आपका रविंद्र जी.
        यह उम्मीद नाउम्मीदी भरा है. भूला हो तो लौटेगा .
        कितनी शामें इंतज़ार कर लो , जाने वाले कभी नहीं लौटते.

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      2. आपके इस टिप्पणी से मुझे एक पुराना मेरा पसंदीदा गीत याद आ गया :

        जानेवाले कभी नहीं आते
        जानेवाले की याद आती है
        दिल एक मंदिर है
        प्यार की जिस में होती है पूजा, ये प्रीतम का घर है
        दिल एक मंदिर है
        हर धड़कन है आरती वंदन
        आँख जो मिची हो गए दर्शन
        हर धड़कन है आरती वंदन
        आँख जो मिची हो गए दर्शन
        मौत मिटा दे चाहे हस्ती, याद तो अमर है
        दिल एक मंदिर है
        प्यार की जिस में होती है पूजा, ये प्रीतम का घर है
        हम यादों के फूल चढ़ाएं
        और आँसू के दीप जलाएं
        साँसों का हर तार पुकारे
        ये प्रेम-नगर है
        दिल एक मंदिर है

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