ज़िंदगी के रंग -196

रिश्ते भी मौसमों से बदलते है.

कुछ रिश्तों में बहार सा

दिलों में गुल खिलते देखे हैं.

और पतझड़ सा….

सूखी पत्तियों सा….

रिश्तों और लोगों को

नज़रों से गिरते भी देखें हैं.

15 thoughts on “ज़िंदगी के रंग -196

    1. आभार !!
      ज़िंदगी बहुत कुछ दिखाती है. शब्दों और पंक्तियों में बाँध दिया तो कविता बन जातीं हैं.

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