ज़िंदगी के रंग – 188

दिल से अपने आप निकली हुई बातें,

कब टपकते दर्द के साथ मिल कर,

रेख़ताग़ज़ल बन जातीं है, मालूम नहीं……

अर्थ –

रेख़ताअरबी फ़ारसी मिश्रित हिंदी गाना, ग़ज़ल