ज़िंदगी के रंग -184

कभी नहीं चाहा तुम्हें यादों में याद करें.

पर क्या यादों …चाहतों…पर है ज़ोर किसी का?

blogger R. K. Karnani की पंक्तियों से प्रेरित रचना .

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