ज़िंदगी के रंग -181

शब्दों में ज़िंदगी ढूँढते ढूँढते

ना जाने कितना कुछ लिख गए.

कितना लिखा….मिटाया….लिखा..

पर

प्यार क्या है …..

ज़िंदगी क्या है …

शब्दों में उकेर हीं नहीं पाए,

बस अपनी भावनाओं को शब्दों

में तराशने की असफल

कोशिश करते रहे……

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