जश्न तो हम आज भी मनाते हैं.
कुछ भूले बिसरे नज़्म गुनगुनाते हैं.
एक आदत थी तुम्हे देखने की बजम में.
पर जश्न-ए-ज़िंदगी हार गई मौत से .
जश्न तो हम आज भी मनाते हैं.
कुछ भूले बिसरे नज़्म गुनगुनाते हैं.
एक आदत थी तुम्हे देखने की बजम में.
पर जश्न-ए-ज़िंदगी हार गई मौत से .
wahhh 🙂
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शुक्रिया .
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Waah waah!
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Shukriya .
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कितना सुंदर लिखा जी अपने
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बहुत धन्यवाद प्रशंसा के लिए .
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बहुत हि खूबसूरत💐😊
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बहुत धन्यवाद शैंकी 😊
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