जिंदगी के रंग -145

अब क्या लिखें कि तुम्हारे जाने से क्या हुआ ?

अब क्या बताएँ कि तुम्हारे मिलने से क्या हुआ था?

खंडित काव्य में व्यक्त आधा अधूरापन  सा,

हवाओं ने बदला रूख जीवन यात्रा का।

तितिक्षा से…बिन प्रतिकार,

बिना शिकायत, धैर्य से कोशिश है,

भँवर में जो शेष है … बचा है….

उसे बचाने की।

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