अब क्या लिखें कि तुम्हारे जाने से क्या हुआ ?
अब क्या बताएँ कि तुम्हारे मिलने से क्या हुआ था?
खंडित काव्य में व्यक्त आधा अधूरापन सा,
हवाओं ने बदला रूख जीवन यात्रा का।
तितिक्षा से…बिन प्रतिकार,
बिना शिकायत, धैर्य से कोशिश है,
भँवर में जो शेष है … बचा है….
उसे बचाने की।

👌👌👌😊
LikeLiked by 2 people
Thanks Shubham
LikeLiked by 1 person
Reblogged this on The Shubham Stories.
LikeLiked by 2 people
Thank you 😊
LikeLiked by 1 person
🙏
LikeLiked by 1 person