जिंदगी के हसीन पलों को
कितनी भी बार कहो – थम जा !!
पर यह कब रुकता है?
पर दर्द भरे पलों का
बुलाअो या ना बुलाअो,
लगता है यह खिंचता हीं चला जा रहा है………
पता नहीं समय का खेल है या मन का?
पर इतना तो तय है –
वक्त बदलता रहता है………….
यह काल चक्र चलता रहता है।
जैसा भी समय हो, बीत हीं जाता है ……….
Awesome lines👌
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Thank you dear.
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Yes. It moves and moves and continuously moves on.
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Thank you so much Gaurav.
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सच कहा, समय हसीन हो या दर्द भरा, वो तो बदलता ही है। सुंदर रचना।
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हाँ, समय कब रुका है? दुःख में हम घबरा जाते हैं अौर सुख में ङूब जाते हैं। पर कुछ भी रुकता नहीं सविता।
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Bahut khoob pankthiya.
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bahut dhanyvad Sunith. aap Hindi poems pasand karte hai?
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Ji bilkul 🙂
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malum nahi kyo mujhe aisaa lagaa , shaayad aap hindi kam padhate hai..
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सुख में हम इतना लिप्त हो जाते हैं की पता ही नही चलता कब खत्म हो गया और दुख का एक एक पल पहाड़ की तरह लगता है जबकि कालचक्र अपने एक समान गति से चल रहा है।
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बिलकुल सही कहा आपने। यह मन का खेल है।
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बहुत खूब
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शुक्रिया !!!
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बिलकुल ठीक कहा है रेखा जी आपने । पनघटों की रूत कहाँ, अब वो हसीं चेहरे कहाँ; मंज़रों को वक़्त यादों में बदलकर चल दिया ।
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आपकी इस बात की मैं कायल हूँ। आपके पास हमेशा सुंदर काव्यमय उत्तर होते हैं। बहुत आभार !!!
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👌
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Thank you .
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जैसा भी समय हो, बीत हीं जाता है SATYA WACHAN
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ha, dukh ya suckh ka samay bit hi jata hai. dhanyvaad.
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