राधाकृष्ण Radha-Krishna – Poem

The divine, eternal, and spiritual  love –  Krishna went to  Radha to bid his farewell before leaving Vrindavan. They spent a few minutes without a word. They knew each other’s feelings.  Words had little meaning to convey their love.

 

कान्हा ने राधा से पूछा, कहाँ है तु खोई-खोई?

क्यों तु  लग रही है  रोई-रोई  ?

राधा ने कहा —

कुछ रिश्ते भावनाअों -एहसासों मे ङूबे होते हैं।

इसलिए निर्दोष होते हैं …
 सुंदर होते हैं…… 
मैंने जितना तुम्हें  खोजा,
जितना अधिक जाना,
उतना  अौर पाना चाहा, पर पाया  नहीं !

कान्हा ने कहा – इसलिये क्योकिं,

अपने दिल में तो तुने झाँका हीं नहीं……

हर मंदिर में तु ही तो  होती है  मेरे साथ। 

 

राधा-कृष्ण के आध्यात्मिक रिश्ता अौर अलौकिक प्रेम की अनेकों कहानियाँ है। वृंदावन छोङने से पहले कान्हा, राधा से मिले। पर दोनों  कुछ नहीं  बोल रहे थे, बस चुप थे। पर मौन की भी अपनी एक भाषा होती है।

 

 

 

 

 

 

वृंदावन की वृध्द विधवायेँ – कविता  Widows of Vrindavan 

( मान्यता हैं कि वृंदावन , वाराणसी आदि में शरीर त्यागने से मोक्ष के प्राप्त होती हैं. इसलिये प्रायः इन स्थानों पर विधवायें आ कर सात्विक जीवन बसर करती हैं अौर अपने मृत्यु का इंतजार करती हैं। यहाँ इन्हें अनेकों बंधनों के बीच जीवन व्यतीत करना पड़ता हैं। इस वर्ष (2016) पहली बार होली खेलने के लिये कुछ मंदिरों ने अपने द्वार इन विधवाओं के लिये खोल दिये. )

वृंदावन और कान्हा की मुरली
सब जानते हैं।
वृंदावन की होली
सब जानते हैं।
पर वहाँ कृष्ण को याद करती
सफेदी में लिपटी विधवाओ की टोली
किसने देखी हैं ?
आज़ जब पहली बार
उन्हों ने खेली फूलों की होली।
सफेदी सज गई गुलाबो की लाली से
कहीँ बज उठी कान्हा की मुरली
उनकी उदास साँसो से।

widows of vrindavan

Source: वृंदावन की वृध्द विधवाये ( कविता )

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