
चेहरे पर कई चेहरे !!
लोगों ने चेहरों पे न जाने कितने नक़ाबात लगा रखें हैं,
हर मुस्कुराहट के पीछे कुछ हिसाबात छुपा रखे हैं।
खुली आँखों से तो सब हसीन नक़्शे लगे हैं।
कैसे असली इंसान और रूह पहचानें?
कितनों ने एक चेहरे पर कई चेहरे लगा रखें है।

लोगों ने चेहरों पे न जाने कितने नक़ाबात लगा रखें हैं,
हर मुस्कुराहट के पीछे कुछ हिसाबात छुपा रखे हैं।
खुली आँखों से तो सब हसीन नक़्शे लगे हैं।
कैसे असली इंसान और रूह पहचानें?
कितनों ने एक चेहरे पर कई चेहरे लगा रखें है।


ख्वाहिश है अगली बार,
उम्र तुम्हारी लंबी हो यार।
तुम समझो, क्या होती है यादें
तुम जानो, क्या होता है तोड़ना वादें।
बस इतनी सी है मेरी बिखरी जहानी।
मेरी गुमशुदा ज़िंदगी की कहानी।
अर्थ- जहानीः worldly, relating to the world

ज़िंदगी के मेले में कई मिलते हैं
कुछ दूर साथ चलते हैं।
अपनी अपनी मंज़िल की ओर
बढ़ जाते हैं,
जैसे हो दरिया का बहता पानी।
बहती नादिया रुक जाये तो
खो देती है ताज़गी और रवानी।
बढ़ते जाना हीं है ज़िंदगानी।
मंज़िल पाना है जीवन की कहानी।

कुछ लोग बिन आईना जीते हैं ज़िंदगी।
वे भूल जातें है, ख़ुद एक आईना है ज़िंदगी।
और जब अचानक उन्हें हीं उनका चेहरा
दिखाती है आईना-ई-ज़िंदगी।
तब नहीं पाते अपने आप को पहचान,
या अपना भूला चेहरा ना चाहतें हैं पहचानना?
धूमिल, दाग़दार, मलिन अक्स।
आईना नहीं बोलता झूठ, जानते हैं सभी शख़्स

सारे सच लोग झूठ बताते चले गये।
सारी ज़िंदगी छले जाते रहे।
कई धोखे भरे रिश्ते निभाते चले गये।
शायद हुआ ऊपर वाले के सब्र का अंत।
हाथ पकड़ ले चला राह-ए-बसंत।
एक नई दुनिया, नई दिशा में।
बोला, पहचान बना जी अपने में।
तलाश अपने आप को, अपने आप में।
ग़र चाहिए ख़ुशियाँ और सुकून का साया।
जाग, छोड़ जग की मोह-माया।
मैं हूँ हमेशा साथ तेरे, कर बंदगी।
ख़ुशगवारी से जी भर, जी ले ज़िंदगी।
ज़माने की महफ़िल में मुस्कुरा कर
करते हो बातें।
अपनों से, जाने-अनजानों से।
कुछ अपनी फ़िक्र, अपना ख़याल करो।
ज़माने के रंज-औ-ग़म ना उतारो ख़ुद पर।
चाहिए ग़र ज़िंदगी ख़ुशगवार चुस्त।
अपने-आप से बातें करो वही जो हों दुरुस्त।
Interesting Psychological Fact – Self-talk is
our internal dialogue. It’s influenced by
our subconscious mind, and it reveals
our thoughts, beliefs, questions, and ideas.
Positive Self-talk can enhance your
performance and general well-being.

लोग क्या कहेंगे?
अगर सुन रहे हो लोगों की।
तब जी रहे हो उनकी ज़िंदगी,
उनकी बातें,
उनकी ख्वाहिशें।
अपनी ज़िंदगी कब जियोगे?

अपेक्षायें, सफ़ाई और
कई जज़्बा-ए-बेनाम,
आने लगे सफ़र-ए-ज़िंदगी के बीच।
जो चैन और सुकून छीन ले,
तब
लोगों को ना करे कोशिश बदलें की।
आसपास के लोगों को बदल दें।
अर्थ- जज़्बा-ए-बेनाम: अनाम अहसास / nameless emotions.

मकतब-ए-ज़िंदगी ने सिखाया,
मुस्कुरा-मुस्कुरा कर
लोगों को ना कर इतना बर्दाश्त
कि वे हद से गुज़र जाएँ।
सितम सहन इतना ना कर,
कि लोग सीमा तोड़ जाए।
कि ख़ुद वे बर्दाश्त-ए-काबिल ना रह जायें।
Positive Psychology-
If someone is crossing your boundaries,
take action. At the same time, Be careful
with how much you tolerate. You are
teaching them how to treat you.

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