उम्मीदों की शाख़ पर

उम्मीदों की शाख़ पर

आफ़ताब को गले लगाने की ज़िद्द ना कर।

महताब को पाने की ज़िद्द ना कर।

ज़िंदगी हमेशा हसीन कहानी सी हो

यह साजिद ना कर।

ज़िन्दगी कभी मिले राहों में,

उससे बातें कर।

बतायेगी, उम्मीदों की शाख़ पर, नई राह पर,

नये आरजूओं का सफ़र है ज़िंदगी।

2 thoughts on “उम्मीदों की शाख़ पर

  1. यह काफी है
    छोटी रोशनी
    अपने आप में
    पहनने के लिए
    यह उसके बारे में नहीं है
    शुभकामनाओं और आशाओं के पीछे भागना
    रोजमर्रा की जिंदगी की कठिनाइयों को सहन
    सपने में आपकी आत्मा आपसे क्या कहती है, इसे सुनें
    वह आत्मा
    ही हमारे रास्ते तय करता है
    नहीं कि
    क्या
    एक सूर्य राजा
    एक भविष्यवक्ता आप में अपनी हठधर्मिता ढोलता है

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