मृग तृष्णा

7 thoughts on “मृग तृष्णा

    1. जी बिलकुल। शुक्रिया।
      इसका अभिप्राय है –
      जीवन क्षणभंगुर हैं। फिर भी इस सच्चाई को , हक़ीक़त को अनदेखा कर हम दुनिया के मोह माया / ख़्वाबों में उलझ जातें है।
      जैसे मृग जल के धोखे में मृगतृष्णा के पीछे भागता है।

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  1. जिन्दगी को हकीकत से ज्यादा ख्वाब पसंद है। क्योंकि हकीकत जैसी है वैसी है, और वैसी ही रहने वाली है । ख्वाबो का क्या है वो तो दिमाग की उपज है जो हर क्षण और परिस्थितियों के अनुरूप बदलती रहती है। इन्हीं ख्वाबों में उलझकर जिन्दगी अपने आप को खुबसूरत बनाने की नाकाम कोशिश करती है ।
    खूबसूरत भावपूर्ण पंक्तियां 👌

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    1. ख़ूबसूरत अर्थ।
      हाँ हक़ीक़त तो – मृत्यु है। जिसे हम सब मानना नहीं चाहते। पर जो मान ले तो दुनिया में बहुत से ग़लत काम कम हो जाएँगे। 😊
      बहुत शुक्रिया अनुराग।

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