खोज

चले थे अपने आप को खोजने।

कई मिले राहों में।

पल-पल रंग बदलते

लोगों को खुश करने में,

अपने को बार-बार

नए साँचे में ढालते रहे।

ना किसी को खुश कर पाए,

ना अपने को खोज़ पाए।

दिल के अंदर झाँका,

तब समझ आया।

अपने आप को ख़ुश

रखने की ज़रूरत है।

दुनिया को नहीं…….।

ज़िंदगी के जंग

ज़िंदगी के जंग में

कुछ लोग टूटते नहीं।

क्योंकि, वे कई बार

टूट टूट कर बने होते हैं।

वे अपने खंडित अस्तित्व में

सुकून खोज़ लेते हैं।

अपनी आँखों की चमक

और मुस्कान में ख़ुशियाँ

ढूँढ लेतें हैं।

ज़िंदगी की थकान में

अपनी रौशनी बनाए रखना

सीख लेते हैं।

चोट के निशानों में

निखारना सीख लेते है।