ना छुपो अपने आप से,
ना दुनिया से
अपने आप की छुपाओ।
ना ढलो अपने को
बीते कल में…..
या किसी परिभाषा में।
ना रोज़ रोज़ बदलो,
रंग बदलती
दुनिया की तरह।
वरना तुम्हारी असली
मुस्कुराहटें कहीं खो जाएगी।
ना छुपो अपने आप से,
ना दुनिया से
अपने आप की छुपाओ।
ना ढलो अपने को
बीते कल में…..
या किसी परिभाषा में।
ना रोज़ रोज़ बदलो,
रंग बदलती
दुनिया की तरह।
वरना तुम्हारी असली
मुस्कुराहटें कहीं खो जाएगी।