कहते हैं,
वक्त बीतने से हर दर्द चला जाता है,
अौर हर घाव भर जाता है।
पर अनुभव अौर ख्यालात कहतें है।
ज़िंदगी में मिला दर्द कभी नहीं जाता।
बस उसका रुप बदल जाता है।
कुछ को अपने दर्द के बाद,
दूसरों को दर्द देने में मज़ा आता है।
अौर
कुछ लोगों को अपना दर्द ,
दूसरों के दर्द को महसूस करने की समझ दे जाता है.
यह, क्रूरता, पर-पीड़ा
हमदर्दी, सहानुभूति , संवेदना किसमें में बदलेगा।
यह तो है इंसान पर,
कि
वो ऐब-ओ-हुनर क्या रखता हैं।
अर्थ –


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