कैसे तराशें अपने आप को ?
यह प्रश्न चिन्ह सा डोलता है मन में.
यह देख , चाँद थोङ झुका अौर बोला।
देखो, मैं तो सनातन काल से यही कर रहा हूँ।
हर दिन, अपने आप को तराशता रहता हूँ।
जब-जब अपने में कमी नज़र आती है।
अपने को पूरा करने की कोशिश में लग जाता हूँ।