क्या हाल है?

क्यों,  किसी के  ‘क्या हाल है?’  पूछते

 दर्दे-ए-दिल का हर टांका उधड़ता चला जाता है?

कपड़े के थान सा दिल का हर दर्द,

तह दर तह, अनजाने खुलता चला जाता है।

 यह  सोचे बिना,  इसे समेटेगा कौन?

ख़ता किसकी है?

पूछने वाले के अपनेपन की?

 या पीड़ा भरे दिल की?

 

Image- Aneesh