दुनिया में होङ लगी है आगे जाने की…
किसी भी तरह सबसे आगे जाने की।
कोई ना कोई तो आगे होगा हीं।
हम आज जहाँ हैं,
वहाँ पहले कोई अौर होगा….. उससे भी पहले कोई अौर।
ज़िंदगी सीधी नहीं एक सर्कल में चलती है।
जैसे यह दुनिया गोल है।
ज़िंदगी का यह अरमान, ख़्वाब –
सबसे आगे रहने का, सबसे आगे बढ़ने का……
क्या इस होड़ से अच्छा नहीं है –
सबसे अच्छा करने का।
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