नासमझ या सोसियोपैथ
क्या यह सोंच उचित है – यह सिर्फ एक जानवर है, इसलिए क्यों परवाह करना? क्या ऐसे क्रूर प्रवृत्ति के लोगों को कठोर सजा नहीं मिलनी चाहिये?
क्या यह सोंच उचित है – यह सिर्फ एक जानवर है, इसलिए क्यों परवाह करना? क्या ऐसे क्रूर प्रवृत्ति के लोगों को कठोर सजा नहीं मिलनी चाहिये?
अपने आप को ऐसे लोगों से नियंत्रित न होने दें, जो बिना दोषी महसूस किए “माइंड गेम्स” का उपयोग दोस्तों, परिवार के सदस्यों, सहकर्मियों और यहां तक कि अजनबियों को नियंत्रित करने के लिये करते हैं। ये अक्सर सोसियोपैथ होतें हैं।
डायग्नोस्टिक एंड स्टैटिस्टिकल मैनुअल ऑफ मेंटल डिसऑर्डर (DSM-5) में कहा गया है कि सोसियोपैथ (ASPD) वे लोग हैं जो दूसरों की भावनाओं, पीड़ा, दर्द अौर तकलीफों को नहीं समझतें हैं अौर अपने तरीके से या माइंड गेम्स की सहायता से लोगों को चलाने की कोशिश करते हैं. वे ऐसा करना बिलकुल गलत नहीं समझते हैं. लोगों की भावना दरकिनार कर काम निकालने की वजह से कई बार उन्हें करिश्माई भी माना जाता है. वैसे तो ये बिना निदान के अपना पूरा जीवन जी सकते हैं. पर वास्तव में सोसियोपैथ व्यवहार एक मनोवैज्ञानिक समस्या है।
सूफी परंपरा में ईश्वर को हमेशा प्रेमी के रूप में देखा गया है. दरवाजा केवल उन लोगों के लिए ही खुलता है, जो अपने को उसके प्रेम में खो चुके होते हैं.
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