जीवन प्रवाह में बहते-बहते आ गये यहाँ तक।
माना, बहते जाना जरुरी है।
परिवर्तन जीवन का नियम है।
पर जब धार के विपरीत,
कुछ गमगीन, तीखा मोङ आ जाये,
किनारों अौर चट्टानोँ से टकाराने लगें,
जलप्रवाह, बहते आँसुअों से मटमैला हो चले,
तब?
तब भी,
जीवन प्रवाह का अनुसरण करो।
यही है जिंदगी।
प्रवाह के साथ बहते चलो।
अनुगच्छतु प्रवाह ।।