वक़्त

वक़्त-वक़्त की बात है, कभी छुट्टियों की कमी की शिकायत थी, आज छुट्टियाँ है तब काम याद आ रहा है. कभी शोर-कोलाहल कानों को चुभता था. अब शांति हीं शांति है तब पुराने दिन याद आ रहें हैं. यह नाराज़गी और बेचैनी क्यों? यह वक़्त भी गुज़र जाएगा.

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