सुकून

खोजा हर जगह….सुकून है कहाँ? कुछ पाने में या कुछ खोने में ? यादों में या भूलने में? तलाश में या पाने में? कोलाहल में या ख़ामोशी में? शायद चिता के राख में या दो गज़ ज़मी के नीचे? वरना क्यों रोज़- रोज़ लोग दुनिया छोड़ जाते हैं?

One thought on “सुकून

Leave a comment