मुस्कुराते है…. October 17, 2019 Rekha Sahay मुस्कुराते है…. अपने दर्द को छुपाने के लिए, अपनों का हौसला बढ़ाने के लिए, ग़मों से दिल को बहलाने के लिए. पर क्यों इससे भी शिकायत है? Rate this:Share this:FacebookMorePinterestTumblrLinkedInPocketRedditTwitterTelegramLike Loading... Related
कुछ ग़ज़लें याद आईं रेखा जी आपकी इस बात से : तुम इतना जो मुसकुरा रहे हो क्या ग़म है जिसको छुपा रहे हो और उनको यह शिकायत है कि हम कुछ नहीं कहते अपनी तो यह आदत है कि हम कुछ नहीं कहते और आँख है भरी-भरी और तुम मुसकुराने की बात करते हो ज़िन्दगी ख़फ़ा-ख़फ़ा और तुम दिल लगाने की बात करते हो LikeLiked by 1 person Reply
तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो या ग़ज़ल सचमुच मेरे ऊपर लागू होता है। यह मेरी आदत बन गई है। और कुछ कहना ना कहना तो अब बेकार ही लगता है । आपकी गजलों को पढ़कर हमेशा मेरे मन में एक ख्वाहिश होती है, कि काश मेरे पास भी ऐसा संग्रह होता। बहुत शुक्रिया। LikeLiked by 1 person Reply
Ye jalim jamana hai
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kya kaha jay. kuch log aise hi hote hai.
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🙂
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🙂
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कुछ ग़ज़लें याद आईं रेखा जी आपकी इस बात से :
तुम इतना जो मुसकुरा रहे हो
क्या ग़म है जिसको छुपा रहे हो
और
उनको यह शिकायत है कि हम कुछ नहीं कहते
अपनी तो यह आदत है कि हम कुछ नहीं कहते
और
आँख है भरी-भरी और तुम मुसकुराने की बात करते हो
ज़िन्दगी ख़फ़ा-ख़फ़ा और तुम दिल लगाने की बात करते हो
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तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो या ग़ज़ल सचमुच मेरे ऊपर लागू होता है। यह मेरी आदत बन गई है।
और कुछ कहना ना कहना तो अब बेकार ही लगता है ।
आपकी गजलों को पढ़कर हमेशा मेरे मन में एक ख्वाहिश होती है, कि काश मेरे पास भी ऐसा संग्रह होता। बहुत शुक्रिया।
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