मुस्कुराने की कोशिश में
पलकों पर झलक आए,
आँसुओं का बोझ
बता रहे हैं…….
राहों पर हीं खो गए सारे रंग ज़िंदगी के.
गिला हीं बचा है शेष,
आख़री पड़ाव पर ….
मंज़िल-ए-ज़िंदगी के.
मुस्कुराने की कोशिश में
पलकों पर झलक आए,
आँसुओं का बोझ
बता रहे हैं…….
राहों पर हीं खो गए सारे रंग ज़िंदगी के.
गिला हीं बचा है शेष,
आख़री पड़ाव पर ….
मंज़िल-ए-ज़िंदगी के.
Bahut hi umda rachna… 🙂
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Aabhaar Ashish.
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Wow, very nice
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Thank you
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Welcome
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Sundar.
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Shukriya
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