जीवन अौर मृत्यु

जिंदगी का अंत तो वही है,

सबसे बङा शाश्वत सत्य —

जीवन अौर फिर मृत्यु…

विचार अपने-अपने हैं,

इसे हँस कर बिताअो या रो कर………

  आँसू बहाना है या पद चिंह छोङ जाना है …

12 thoughts on “जीवन अौर मृत्यु

  1. एक बहुत पुरानी हिन्दी फ़िल्म – अतिथि (1978) का किशोर कुमार, अनुराधा पौडवाल तथा कंचन द्वारा गाया हुआ गीत है – ‘गा के जियो तो गीत है ये ज़िंदगी, रो के जियो तो रोना है; हम क्यों सोचें कल क्या होगा, होगा वही जो होना है’ । रही बात मौत की तो मौत तो ज़िंदगी का आख़िरी अंजाम है और इसीलिए मौत से डरना अहमक़ों का काम है । इसलिए रेखा जी, हर पल यहाँ जी भर जियो, जो है समां, कल हो न हो ।

    Liked by 1 person

    1. अच्छा, मैं इस गाने को जरुर सुनने की कोशिश करूँगी।
      बिलकुल, मौत से क्या ङरना?
      मेरी गीतों अौर फिल्मों की जानकारी बङी कमजोर है। 🙂 आप के post अौर बातों से काफी कुछ जान गईं हूँ । एक अौर नई बात हुई है – अपनी प्रिय पुरानी फिल्मों अौर गानों को देखना शुरु कr दिया है। 🙂

      Liked by 1 person

  2. बहुत खूब कहा अपने शाश्वत सत्य है…….

    जीवन मिला है तो जायेगी एक दिन,
    दुःख है तो सुख भी आएगी एक दिन,
    फिर भी जो मर्जी तू रो ले या हंस ले,
    ये जीवन दुबारा ना मिल पाएगी,
    ये जीवन दुबारा ना मिल पाएगी|
    यही सत्य है जानते हैं सभी,
    मगर गम में आंसू बहाते सभी,
    न बदला ना बदलेगा कहता जगत,
    हमें मौत आएगी निश्चित अटल,
    पता ना किधर कब वो आ जायेगी,
    ये जीवन दुबारा ना मिल पाएगी,
    ये जीवन दुबारा ना मिल पाएगी|

    Liked by 1 person

    1. सुख-दुख तो आती जाती रहती हैं, उन्हें हँस कर जीना सीख ले तब खास बात है।
      भहुत सुंदर लाईनें – ये जीवन दुबारा ना मिल पाएगा…….
      बहुत-बहुत आभार !!!

      Like

  3. इसे हँस कर बिताअो या रो कर………
    आँसू बहाना है या पद चिंह छोङ जाना है … very beautiful lines. hope we will get something more in next post

    Liked by 1 person

Leave a reply to Pooja Cancel reply