सूरज धुल कर चाँद

 

कशमकश में दिवस बीत गया….

सूरज धुल कर चाँद हो गया।

तब

आसमान के झिलमिलाते सितारों ने कहा –

हौसला रखो अौर आसमान चुमने की कोशिश करो।

क्योकिं अगर

उतना ऊपर ना भी पहुँच सके,

तब भी हम सितारों तक 

 तो जरुर पहुँच जाअोगे!!!

44 thoughts on “सूरज धुल कर चाँद

  1. दिल्लगी में
    दिन तमाम हो गया
    रात की नरमी के संग
    सूरज ढल के
    चांद हो गया
    कुछ कर सकने का
    भरम क्या टुटा
    मेरा जिंदगी से निक़ाह हो गया

    सूरज की तपिश
    मेरे लिये कैसे वरदान हो गयी
    पाने की अंधी दौड़ क्या छोड़ी
    पल भरमे फकरी
    बादशाही में तब्दील हो गयी

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    1. बहुत खूब!!! शुक्रिया
      यह आपने लिखी है? ये पंक्तियाँ अच्छी लगीं-
      सूरज ढल के चांद हो गया

      ये मेरी कविता की इन पंक्तियों से मिलती-जुलती सी लगीं-
      सूरज धुल कर चाँद हो गया।

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