रो देती है रात

कितने ख़्वाब सजाती है रात।

लोगों के टूटते ख़्वाबों को देख रो देती रात।

कई अफ़साने-ए- इश्क़ बिखरते देख,

टूटे दिलों को, पीते अश्क देख,

रो देती है, अंधेरी से अंधेरी रात।

धोखा देने वालों की चैन की नींद देख,

रश्क से भर रो देती है चाँदनी रात।

हर पत्ते पर शबनम की बूँदें गवाह है

रजनी….रात के आँसुओं के, कि

दूसरों के दर्द से भर रो देती है रात।

TopicByYourQuote

2 thoughts on “रो देती है रात

Leave a reply to Rekha Sahay Cancel reply