तकरार औ इकरार हो,
शिकवे और गिले भी।
पर ठहराव हो, अपनापन,
भरोसा और सम्मान हो,
ग़र निभाने हैं रिश्ते।
वरना पता भी नहीं चलता।
आहिस्ता-आहिस्ता,
बिन आवाज़
बिखर जातें हैं रिश्ते,
टूटे …. शिकस्ते आईनों
की किर्चियों से।
तकरार औ इकरार हो,
शिकवे और गिले भी।
पर ठहराव हो, अपनापन,
भरोसा और सम्मान हो,
ग़र निभाने हैं रिश्ते।
वरना पता भी नहीं चलता।
आहिस्ता-आहिस्ता,
बिन आवाज़
बिखर जातें हैं रिश्ते,
टूटे …. शिकस्ते आईनों
की किर्चियों से।
On Mon, Jan 10, 2022 at 8:17 AM The REKHA SAHAY Corner! wrote:
> Rekha Sahay posted: ” तà¤à¤°à¤¾à¤° ठà¤à¤à¤°à¤¾à¤° हà¥, शिà¤à¤µà¥ à¤à¤° à¤à¤¿à¤²à¥ à¤à¥à¥¤ पर ठहराव हà¥, > ठपनापन, à¤à¤°à¥à¤¸à¤¾ à¤à¤° समà¥à¤®à¤¾à¤¨ हà¥, à¤à¤¼à¤° निà¤à¤¾à¤¨à¥ हà¥à¤ रिशà¥à¤¤à¥à¥¤ वरना पता à¤à¥ नहà¥à¤ à¤à¤²à¤¤à¤¾à¥¤ > à¤à¤¹à¤¿à¤¸à¥à¤¤à¤¾-à¤à¤¹à¤¿à¤¸à¥à¤¤à¤¾, बिन à¤à¤µà¤¾à¤à¤¼ बिà¤à¤° à¤à¤¾à¤¤à¥à¤ हà¥à¤ रिशà¥à¤¤à¥, à¤à¥à¤à¥ â¦. शिà¤à¤¸à¥à¤¤à¥ à¤à¤à¤¨à¥à¤ à¤à¥ > à¤à¤¿à¤°à¥à¤à¤¿à¤¯à¥à¤ सà¥à¥¤” >
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Thanks for the comment, but it’s distorted.
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के खिलाफ
वो आत्मा
उनकी विविधता में
झगड़ा मत करो
वो आत्मा
चेतना में मन
हर इंसान में है
वो आत्मा
हकीकत है
जीवन की
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🙏🙏
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बहुत अच्छी और सही बात कही रेखा जी आपने। मृदुला अरूण जी की एक ग़ज़ल का पहला शेर याद दिला दिया आपने :
आँच देंगे सर्द मौसम में दुशालों की तरह
टूटने मत दीजिए सम्बन्ध प्यालों की तरह
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बहुत सुंदर ग़ज़ल ! धन्यवाद जितेंद्र जी।
आजकल कम हीं लोगों को सम्बन्धों में गरमाहट बरकरार रखने की कोशिश करते देखतीं हूँ। एक तरफ़ा कोशिश कितने दिनों काम आती है?
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आपकी यह बात भी बिलकुल सही है रेखा जी। मेरा निजी अनुभव भी यही कहता है।
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sahi kaha… thehraav bahut zaroori hai zindagi me…
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Han, thank you.
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