खोज

चले थे अपने आप को खोजने।

कई मिले राहों में।

पल-पल रंग बदलते

लोगों को खुश करने में,

अपने को बार-बार

नए साँचे में ढालते रहे।

ना किसी को खुश कर पाए,

ना अपने को खोज़ पाए।

दिल के अंदर झाँका,

तब समझ आया।

अपने आप को ख़ुश

रखने की ज़रूरत है।

दुनिया को नहीं…….।

19 thoughts on “खोज

  1. इसी कारण आपका लेखन
    जीवन के विभिन्न पहलुओं को
    गहराई से दर्शाता हुआ प्रेरणादायक है । रेखा दीदी आपकी रचनाएँ मुझें
    बेहद पसंद है 🙏🏼😊

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