
ना छुपो अपने आप से,
ना दुनिया से
अपने आप की छुपाओ।
ना ढलो अपने को
बीते कल में…..
या किसी परिभाषा में।
ना रोज़ रोज़ बदलो,
रंग बदलती
दुनिया की तरह।
वरना तुम्हारी असली
मुस्कुराहटें कहीं खो जाएगी।

ना छुपो अपने आप से,
ना दुनिया से
अपने आप की छुपाओ।
ना ढलो अपने को
बीते कल में…..
या किसी परिभाषा में।
ना रोज़ रोज़ बदलो,
रंग बदलती
दुनिया की तरह।
वरना तुम्हारी असली
मुस्कुराहटें कहीं खो जाएगी।

कभी कभी ठीक नहीं
होना भी ठीक है।
ज़िंदगी में किसी को खो कर,
या किसी के कड़वाहटों से
कभी कभी मुस्कान
खो देना भी ठीक है।
कभी कभी धोखा खा कर
फिर से भरोसा
ना करना भी ठीक है।
अपनी हर भावना को
जैसे हैं, वैसे हीं
मान लेना ठीक है।
पहेली सी इस ज़िंदगी में,
बस अपने आप पर
भरोसा रखना ठीक है।
टूटने के बजाय हौसला से
आगे बढ़ना ठीक है।
क्योंकि उड़ान भरने
के लिए आसमाँ
और भी है।

मुझ में किसी और
की ना खोज हो।
तुम में किसी
और की ना तलाश हो।
हम हम रहें,
तुम तुम रहो।
दूसरों की ज़िंदगी में अपनी
जगह ना बनाने की
कोशिश हो।
दूसरों को अपनी ज़िंदगी में
समाने की कोशिश ना हो।
किसी के साँचे में ना ढलो।
ना किसी और को
अपने साँचे में ढालो।
तुम तुम रहो, हम हम रहें,
ऊपर वाले ने कुछ
सोंच कर
हीं जतन से हर
मास्टरपीस बनाई होगी।

दर्द और चुभन कम
करने के लिए,
बार बार चुभनेवाली कील
ज़िंदगी से हटा देनी चाहिए।
अपने लिए जीना,
खुश रहना स्वार्थ नहीं
समझदारी है।
सच्ची बात यह है कि
जो स्वयं खुश हैं।
वही दुनिया में
ख़ुशियाँ बाटें सकतें है।

दाग़दार चाँद नहीं
किसी को कहता
अपनी ओर देखने ।
आँखें खुदबखुद
निहारतीं हैं।
उसका आकर्षण देख,
चकोर ताक़त है चाँद को।
सागर की लहरें ,
पूनम की रात के
शीतल चाँद को
छूने के लिए
हिलोरे मारती हैं।
अपने में जीवन का
गूढतम रहस्य छुपाए चाँद
घटता और बढ़ता रहता है।
क्योंकि उसे मालूम है
कि अपूर्णता के बाद हीं
पूर्णता मिलती है।

अभी का पल,
अगले पल मृत हो,
यादें बन जाता है।
इसलिए मनपसंद तरीक़े से,
मनपसंद लोगों के साथ
पल-समय बिताओ।
ताकि हर पल
मीठी और सुनहरी
यादों का ख़ज़ाना
बन जाए।

चले थे अपने आप को खोजने।
कई मिले राहों में।
पल-पल रंग बदलते
लोगों को खुश करने में,
अपने को बार-बार
नए साँचे में ढालते रहे।
ना किसी को खुश कर पाए,
ना अपने को खोज़ पाए।
दिल के अंदर झाँका,
तब समझ आया।
अपने आप को ख़ुश
रखने की ज़रूरत है।
दुनिया को नहीं…….।

ज़िंदगी के जंग में
कुछ लोग टूटते नहीं।
क्योंकि, वे कई बार
टूट टूट कर बने होते हैं।
वे अपने खंडित अस्तित्व में
सुकून खोज़ लेते हैं।
अपनी आँखों की चमक
और मुस्कान में ख़ुशियाँ
ढूँढ लेतें हैं।
ज़िंदगी की थकान में
अपनी रौशनी बनाए रखना
सीख लेते हैं।
चोट के निशानों में
निखारना सीख लेते है।

Chinese tech tycoon Jack Ma famously said it was a “blessing” for anyone to be part of the so-called “996 work culture”- where people work 9am to 9pm, six days a week.
Now, China’s authorities have issued a stern reminder to companies that such punishing work schedules are in fact, illegal.

कुछ रिश्ते,
टूटे काँच की
तरह होते है।
जोड़ने की कोशिश में
चुभन मिलती है।
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