फ़िज़ा में !!!

सोन्धी-सोन्धी ख़ुश्बू बिखर गई फ़िज़ा में.

कहीं बादल बरसा था या आँखें किसी की?

कहा था –

ना कुरेदो अतीत की यादों को.

माज़ी…..अतीत के ख़ाक में भी बड़ी आग होती है.

 

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