बातें, जो बीत गईं !!

कहते हैं जो बीत गई वो बात गई.

उन्हें जाने देना चाहिए !

पर सच तो है कि बहुत सी बीती बातें हीं

ठहर जातीं है बीत जाने पर भी,

जिद्द की तरह !!

बातों का क्या है – कही, अनकही,

कुछ अधूरी, कुछ पूरी. अटकी रहतीं हैं,

घर बना कर ज़ेहन के किसी कोने में.

ज़िन्दगी का हिस्सा बन.

जो बीत गई ,

वो बात रह गई ज़िंदगी का हिस्सा बन कर !!!