मेरा नाम लिया या आवाज़ें दीं थीं क्या?
कुछ तो सुना था हमने सुदूर से!
सब कहते हैं, हम खोए रहते हैं अपने आप में,
इसलिये सुनते रहते हैं अनजानी, अनसुनी आवाज़ें।
मालूम है ना ?
इस “अपने-आप” में तुम भी हो,
रोज़ दख़्लअंदाज़ी करते हो।
#LockDownDay-109
Helen Keller
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