ज़िंदगी के रंग – 212

ज़िंदगी में लोंग आते हैं सबक़ बन कर।

फ़र्क़ यह है कि किस का असर कैसा है?

 वे तराश कर जातें या तोड़ कर ?

पर तय है एक बात ,

चोट करने वाले भी टूटा करते हैं।

 हथौडिया छेनियाँ भी टूटा करतीं है।

 

 

 

Image – Aneesh

6 thoughts on “ज़िंदगी के रंग – 212

  1. पत्थर तराश कर मूरत बना डालते
    छेनियाँ और हथौड़ियाँ,
    जब किसी कारीगर के हाथ आते हैं,
    ढाह देते हैं सैकड़ों वर्षों की यादों को सहेजे इमारतों को भी,
    जब किसी आक्रांता के हाथ आते हैं।
    वे धातु बिन हाड़ मांस के,
    तुम तो नही,
    ना ही हम बिन सांस के।

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