डायग्नोस्टिक एंड स्टैटिस्टिकल मैनुअल ऑफ मेंटल डिसऑर्डर (DSM-5) में कहा गया है कि सोसियोपैथ (ASPD) वे लोग हैं जो दूसरों की भावनाओं, पीड़ा, दर्द अौर तकलीफों को नहीं समझतें हैं अौर अपने तरीके से या माइंड गेम्स की सहायता से लोगों को चलाने की कोशिश करते हैं. वे ऐसा करना बिलकुल गलत नहीं समझते हैं. लोगों की भावना दरकिनार कर काम निकालने की वजह से कई बार उन्हें करिश्माई भी माना जाता है. वैसे तो ये बिना निदान के अपना पूरा जीवन जी सकते हैं. पर वास्तव में सोसियोपैथ व्यवहार एक मनोवैज्ञानिक समस्या है।
कुछ ऐसे ही लोगों का उल्लेख आपने ‘आघात-प्रतिघात’ में भी किया है रेखा जी । लेकिन ऐसे लोग चूंकि स्वयं नहीं भुगतते, उनके आचरण के कारण अन्य लोग भुगतते हैं, इसलिए वे तो अपनी इस कथित मनोवैज्ञानिक समस्या का समाधान करने से रहे । जिन्हें उनके कारण कष्ट होता है, उन्हीं को करना होगा । और वह भी ऐसे लोगों को बिना बताए ।
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जितेंद्र जी, अक्सर हमारे आस-पास ऐसे लोग होते हैं. इन के निदान की बात या समाधान खोजना व्यर्थ है. इनसे बच कर रहने की कोशिश हीं उपाय है.
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