तारीख़ों में छुपी कहानियाँ

तारीख़ों में छुपी हैं कितनी कहानियाँ.

किसी तारीख़ से जुड़ी होतीं हैं यादें,

किसी से दर्द, किसी से ख़ुशियाँ.

किसी से उम्मीद, आशाएँ और अरमान.

 और कुछ तारीख़ें कब आ कर चली जातीं हैं,

पता हीं नहीं चलता.

18 thoughts on “तारीख़ों में छुपी कहानियाँ

  1. सच।
    किसी का बेसब्री से इंतजार,
    और किसी का कोई परवाह नही,
    कुछ तारीखें भूलती नही
    और कुछ बिल्कुल याद नही।

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    1. सही बात है. पर यादों से बाहर निकलना भी ज़रूरी है. क्योंकि ज़िंदगी रुकती नहीं है.

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      1. मेरी ज़िंदगी में भी एक समय ऐसा आया था, जब लगा था यादों से निकलना मुश्किल है. पर यह अनवरत चलती ज़िंदगी हीं सीखती है – यादों के साथ जीना और उनसे निकल कर आगे बढ़ना. 😊

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      2. यादें हैं पानी के बुलबुले, फूटना है इनकी नियति
        रास्ते खो जाते हैं पर सफर जारी रहता है
        क्योंकि रुकना मौत की निशानी है
        और चलना जिन्दगी की कहानी है।

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      3. बहुत ख़ूब, कुछ हीं पंक्तियों में आपने ज़िन्दगी का निचोड़ लिख दिया. बहुत आभार!!!

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