सँवरी, ग़ज़ल सी ज़िंदगी जीने की हसरतें
किसकी नहीं होती? अौर, जो मिला है वही ग़ज़ल है।
यह समझते समझते ज़िंदगी निकल जाती है.

सँवरी, ग़ज़ल सी ज़िंदगी जीने की हसरतें
किसकी नहीं होती? अौर, जो मिला है वही ग़ज़ल है।
यह समझते समझते ज़िंदगी निकल जाती है.
Rumi
Image courtesy- Aneesh
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