ज़िंदगी कट गई भागते दौड़ते.
थोड़ा रुककर कर,
ठहर कर देखा – चहचहातीं चिड़ियों को,
ठंड में रिमझिम बरसती बूँदे,
हवा में घुली गुलाबी ठण्ड……
खुशियाँ तो अपने आस-पास हीं बिखरीं हैं,
नज़रिया और महसूस करने के लिए फ़ुर्सत….
वक़्त चाहिए.

ज़िंदगी कट गई भागते दौड़ते.
थोड़ा रुककर कर,
ठहर कर देखा – चहचहातीं चिड़ियों को,
ठंड में रिमझिम बरसती बूँदे,
हवा में घुली गुलाबी ठण्ड……
खुशियाँ तो अपने आस-पास हीं बिखरीं हैं,
नज़रिया और महसूस करने के लिए फ़ुर्सत….
वक़्त चाहिए.
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