बहते बहते उम्र के बहाव में,
ज़िंदगी के बदलते पड़ाव में,
हर किसी को ज़िंदगी में,
उन्हीं कहानियों का सामना करना पड़ता है,
जो सनातन काल से शाश्वत है.
ज़िंदगी क्षण भंगुर है –
यह जानते हुए भी उलझ जातें हैं माया मोह में.
और जब यह मायावी स्वप्न टूटता है,
तब ख़्याल आता है – मृत्यु तो सब की आती है.
पर जीवन जीना कितने लोगों को आता है?
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